Sunday, April 15, 2012

आज वह मर गया …



आज वह मर गया;
ऐसा नहीं कि
पहली बार मरा है
अपने जन्म से
मृत्यु तक
होता रहा तार-तार;
और मरता रहा
हर दिन कई-कई बार,
उसके लिए
रचे जाते रहे चक्रव्यूह,
और फिर
यह जानते हुए भी कि
वह दक्ष नहीं है
- चक्रव्यूह भेदनकला में,
उसे ही कर्तव्यबोध कराया गया;
और उतारा गया
बारम्बार समर में,
हर बार उसके मृत्यु पर
विधिवत निर्वहन हुआ
शोक की परम्परा का भी,
और फिर आंसुओं का सैलाब देख
वह पुन: पुनश्च,
उठ खड़ा होता रहा.
.

पर आज जबकि
वह फाइनली मर गया है,
रचा गया है
फिर एक नया चक्रव्यूह
उस जैसे किसी और के लिए.

27 comments:

Rajesh Kumari said...

गहन भावाभिव्यक्ति के लिए बधाई बहुत अच्छी प्रस्तुति.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

जीवन के कुरूक्षेत्र में परिवार के किसी न किसी सदस्य को तो बार-बार मरने का बीड़ा उठाना ही पड़ता है। कविता हमे आईना दिखाती है कि पहचान लो अपना चेहरा और तय कर लो अपनी भूमिका ! आखिर कौन हो तुम ?

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

न जाने कितने चक्रव्यूह हैं जो ऐसे ही मौत देते हैं ... गहन अभिव्यक्ति

प्रवीण पाण्डेय said...

यहाँ हर पग पर जयद्रथ खड़े हैं, अभिमन्यु पर घात लगाने के लिये।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

ये अभिमन्यु का प्रारब्ध
चक्रव्यूह मे फंसा स्तब्ध
लौट लौट फिर आना है
उसको लड़ते जाना है....

अंजना said...

अच्छी प्रस्तुति....

डॉ टी एस दराल said...

इंसान का ईमान भी ऐसे ही बार बार मरता है .

दिगम्बर नासवा said...

हर रोज नए चक्रव्यूह रचे जाते हाँ और नए अभिमन्यु की तलाश होती है ... कुरुक्षेत्र कभी खत्म नहीं होता ...

vandana gupta said...

जीवनरूपी चक्रव्यूह मे आज हर अभिमन्यु का यही हाल है……………बेहतरीन प्रस्तुति।

Pallavi saxena said...

यह भी जीवन का एक रूप है, गहन भावव्यक्ति...

Pallavi saxena said...

समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://mhare-anubhav.blogspot.co.uk/

सदा said...

गहन भाव लिए उत्‍कृष्‍ट अभिव्‍यक्ति ।

Amrita Tanmay said...

अगला भी वैसा ही शिकार होता रहेगा...

shelley said...

bahut achchhi kavita hai. badhai

shelley said...

bachut hi pyari kavita hai,badhai

रश्मि प्रभा... said...

hota rahega chakravyuh taiyaar - her baar

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

कितनी सहजता से बयाँ करी आपने चक्र्व्यूह की निरंतरता! वाह!

डॉ. मोनिका शर्मा said...

गहन ...... विचारणीय भाव......

ANULATA RAJ NAIR said...

बहुत गहन भाव............
जीवन रुपी युद्ध में पल-पल शिकस्त होती है मानव की...तिलतिल मरता है..............

बहुत खूब सर.

amrendra "amar" said...

गहन भाव लिए बेहतरीन प्रस्तुति।

Rewa Tibrewal said...

bahut khoob

रंजू भाटिया said...

bahut badhiya

प्रतिभा सक्सेना said...

इस महासमर के महारथी छल के वार करने में आगा-पीछा कहाँ देखते हैं !

vikram7 said...

गहन भाव

Satish Saxena said...

अभिमन्यु की नियति यही है इस क्रूर विश्व के लिए ....
शुभकामनायें भाई जी !

महेन्‍द्र वर्मा said...

हर दौर के अभिमन्यु ऐसे ही छले जते रहे हैं।

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

yahi to bidambana hai